प्रगति अपार्टमेन्ट्स के फ्लैट न. ५७ के निवासी श्रीमान जय वत्स ने पिछले दिनों एक पत्र जारी किया. यह पत्र उन्होंने सभी निवासियों को वितरित किया. पढ़ने के लिए साथ की इमेज पर क्लिक करें.मैंने जब यह पत्र पढ़ा तब मुझे बहुत दुःख हुआ. इस पत्र में श्रीमान वत्स ने पार्वा से सम्बंधित कुछ विषयों पर अपार्टमेन्ट निवासियों को गलत सूचना दी. उन्होंने पत्र में मुझ पर गलत आरोप भी लगाए. सभ्य समाज में किसी को ऐसा नहीं करना चाहिए. अगर श्रीमान वत्स को मुझ से कोई शिकायत थी तब वह मुझ से बात करते या मुझे पत्र लिखते. सार्वजनिक तौर पर एक अपार्टमेन्ट निवासी द्वारा सारे अपार्टमेन्ट निवासियों को ऐसा पत्र लिखा जाना जिस में एक दूसरे अपार्टमेन्ट निवासी पर दोषरोपण किया गया हो, किसी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता.
क्योंकि इस पत्र में मुझ पर दोषारोपण किया गया था इसलिए मुझे भी एक पत्र जारी करना पड़ा:
"श्रीमान जय वत्स (फ्लेट न. ५७) ने एक परचा जारी किया है जिस में उन्होंने पार्वा से सम्बंधित कुछ मुद्दों को गलत रूप से पेश किया है. मैं नहीं जानता कि ऐसा उन्होंने किस उद्देश्य से किया है और यह एक निवासी के रूप में किया है या पार्वा कार्यकारिणी (पाका) के सदस्य के रूप में. क्योंकि उन्होंने इस पर्चे में मेरा नाम लिखा है इसलिए मेरे लिए यह जरूरी हो गया है कि मैं इन मुद्दों को सही रूप में पेश करूं.
मैंने दिल्ली नगर निगम को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कोई शिकायत नहीं की है. मैंने सूचना अधिकार अधिनियन के अंतर्गत निगम से यह जानकारी मांगी थी कि क्या निगम ने ऐसी कोई योजना चला रखी है जिस के अंदर निगम ‘रेजिडेंट्स वेल्फेयर असोसिएशंस’ को पार्किंग फी चार्ज करने का अधिकार देता है? निगम ने इस का उत्तर ‘न” में दिया है. इस का अर्थ यह हुआ कि पाका गैरकानूनी रूप से जबरन पार्किंग फी बसूल कर रही है. क्या यह कहने की जरुरत है कि यह एक अपराध है?
श्रीमान वत्स एक शिक्षित समझदार व्यक्ति हैं. आशा करता हूँ कि भविष्य में वह इस बात को नहीं दोहराएंगे.

1 comments:
I think Mr Vats has crossed the limit of decency. In no civil society such behaviour is permitted.
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