Added on 22.02.2011 -
कल मैंने एक पोस्ट लिखी थी - सावधानी हटी और दुर्घटना घटी. कल ही पार्वा कार्यकारिणी ने टूटे पिलर की मरम्मत का काम शुरू कर दिया. लेकिन पार्वा कार्यकारिणी पुरानी गलती दोहरा रही है. पिछली बार टूटे पिलर को फिर से नया नहीं बनाया गया था, जहाँ से टूटा था वहीँ से फिर बना दिया था. नतीजा, इस बार पिलर फिर वहीँ से टूट गया. इस बार भी वही गलती दोहराई जा रही है, यानि कल फिर किसी दुर्घटना को निमंत्रण दिया जा रहा है.
मुझे बताया गया है कि ट्रक वाले से ८००० रूपए हर्जाना लिया गया है. मेरी समझ में नहीं आता कि इन रुपयों से पूरा पिलर दोबारा क्यों नहीं बनबाया जा रहा? जो हर्जाना लिया गया है उस में से रूपए क्यों बचाए जा रहे हैं? पिलर को नया बनबाना चाहिए, उसमें स्टील की इन्फोर्समेंट होनी चाहिए, पिलर की ऊंचाई भी थोड़ी बढ़ानी चाहिए. एक बार ऊंचा और मजबूत पिलर बन जाएगा तब किसी दुर्घटना की सम्भावना नहीं रहेगी.
सावधानी हटी और दुर्घटना घटी
मई २०१० में एक ट्रक ने गेट नंबर १ पर लगे एक पिलर को तोड़ दिया था. देखने के लिए क्लिक करें. काफी नुकसान हुआ था. ईश्वर की कृपा रही कि किसी को चोट नहीं आई. यह सब सावधान न रहने का नतीजा था. अफ़सोस की बात है कि इस दुर्घटना से किसी ने कुछ नहीं सीखा. कुछ दिन पहले एक ट्रक ने फिर गेट पर लगे इस पिलर को नुकसान पहुँचाया. पिलर बीच से बिलकुल टूट गया है, बस ऊपर लगे बैनर्स के सहारे टिका हुआ है और किसी मिनट फिर दुर्घटना हो सकती है, किसी को चोट लग सकती है. गेट से आ-जा रहे किसी व्यक्ति, कार, बाईक, रिक्शा पर यह पिलर गिर सकता है. १८ फरबरी को मैंने इस ब्लॉग पर चेट बोक्स में यह कमेन्ट डाला था पर पार्वा कार्यकारिणी के किसी सदस्य ने इस का नोटिस नहीं लिया.
"Gate No. 1. One piller at the gate has been damaged badly and may cause some serious accident. PARWA EC should get it repaired immediately."
पिलर को मरम्मत करने या फिर से बनबाने के लिए कुछ नहीं किया गया. आज की ली गई कुछ फोटो में आप पिलर की हालत देख सकते हैं.
पार्वा कार्यकारिणी की यह लापरवाही दुर्घटना को निमंत्रण दे रही है.
Monday, February 21, 2011
पार्वा कार्यकारिणी गलती दोहरा रही है !
Posted by S. C. Gupta at 9:33 AM 1 comments
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Wednesday, February 16, 2011
विजली की चोरी और जुर्माना
तो आखिरकार विजली की एक चोरी पकड़ी ही गई और जुर्माना भी हो गया. और भी विजली की चोरियां हो रही हैं, अगर पार्वा और अपार्टमेंट्स के निवासियों ने जिम्मेदार नागरिकों की तरह व्यवहार नहीं किया तब इस तरह के और भी जुर्माने होंगे, और सारे निवासियों को शर्मिंदा होना पड़ेगा जब कि यह चोरी कुछ निवासियों द्वारा ही की जाती है. इसी तरह कुछ निवासी पानी की बर्बादी करते हैं जो एक जुर्म है. मैंने इस बारे में ब्लॉग पर लिखा है, कुछ लोगों का ध्यान व्यक्तिगत तौर पर भी इस और दिलाया है पर कुछ असर नहीं हुआ. इन पोस्ट को पढने के लिए क्लिक करें:
शिक्षित नागरिक और विजली की चोरी
शिक्षित नागरिक और पानी की बर्बादी
आज जब चोकीदार पार्वा का सर्कुलर लेकर आया और मुझसे १०० रूपए मांगे तब मेरी पहली प्रतिक्रिया हुई कि मैं क्यों यह जुर्माना दूं जब मैंने विजली की कोई चोरी नहीं की. जिन्होनें चोरी की है वह भरें जुर्माना. मैंने इस बारे में फिर सोचा, तब मैंने यह तय किया कि ब्लॉग पर अपनी प्रतिक्रिया लिखूं. चोरी हुई है इस में कोई संदेह नहीं. जुर्माना भी होना चाहिए, इसमें भी कोई संदेह नहीं. पर क्या कोई इस से कोई सबक सीखेगा? पार्वा कार्यकारिणी के सर्कुलर के आखिरी पैरा को देख कर ऐसा लगता है कि उन्होंने भी कुछ नहीं सीखा. कुछ निवासियों की गलती की सजा उन निवासियों को क्यों मिले जिन्होनें गलती नहीं की? पार्वा कार्यकारिणी ने बस एक धमकी दे दी अपने सर्कुलर में और उनकी जिम्मेदारी पूरी हो गई. यह शर्म की बात है पार्वा कार्यकारिणी के लिए.
बीएसईस के साथ मिल कर पार्वा कार्यकारिणी एक ऐसा सिस्टम बनाये जिस से अपार्टमेन्ट में की जा रही विजली की चोरियां बंद हों, और अगर फिर भी कोई निवासी विजली की चोरी करता है तब उसी निवासी को सजा मिले. उन विवासियों को सजा देना जो जिम्मेदार नागरिक हैं बहुत गलत बात है. यह एक तरह का अन्नाय है. यह बीएसईस के लिए भी गैरजिम्मेदाराना हरकत है, विजली की चोरी रोकना उनकी जिम्मेदारी है. विजली चोरी की सजा विजली चोरों को न दे कर सामूहिक जुरमाना लगाना अपनी जिम्मेदारी से भागना है, और एक तरह से जिम्मेदार नागरिकों को दिन-दहाड़े लूटना है.
ब्लोक प्रतिनिधियों को यह जिम्मेदारी दी जाय कि वह इस बात पर लगातार निगाह रखें कि कोई निवासी विजली की चोरी तो नहीं कर रहा, अगर ऐसा होता पाया जाय तब उस निवासी को समझाया जाय और न मानने पर कार्यकारिणी उसे नोटिस जारी करे. उस पर भी न मानने पर चोरी के बारे में बीएसईस को सूचित किया जाय.
ऐसा ही पानी की बर्बादी किये जाने पर किया जाय. दिल्ली जल बोर्ड के साथ संपर्क बनाये रखा जाना चाहिए और पानी की बर्बादी रोकी जानी चाहिए.
इस विषय पर विस्तार से विचार होना चाहिए. इसके आम सभा की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई जाय और उस में उचित निर्णय लिए जाएँ.
वर्तमान पार्वा कार्यकारिणी का यह कार्यकाल अनेक गैरजिम्मेदार घटनाओं से भरा हुआ है. स्वयं पार्वा अध्यक्ष और कुछ ब्लोक प्रतिनिधियों का चुनाव ही अवैध है. ब्लोक प्रतिनिधि तो बस नाम के प्रतिनिधि हैं. उनका होना न होना एक बराबर है. अब जब बीएसईस द्वारा अपार्टमेन्ट में हो रही विजली की चोरी पकड़ी गई है और जुर्माना भी हुआ है तब यह आवश्यक है कि इस से सही सबक सीखा जाय.
Posted by S. C. Gupta at 7:32 PM 1 comments
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Wednesday, February 2, 2011
PARWA has a new role
MCD is soon constituting Resident Ward Committees (RWC). All Resident Welfare Associations (RWA) in the ward will be member of RWC. RWA will assist councillors in deciding expenditure for development work in their wards. It is compulsory for RWC to meet each month. The minutes of RWC will be sent to the Mayor.
PARWA EC should gear itself up for taking up this responsibility. It should set up a mechanism for effective coordination and cpmmunication with all residents through Block Representatives (BR). In PARWA, BR always remain in hibernation. Now, they will have to come out of their hibernation and take up their job seriously.
Posted by S. C. Gupta at 11:48 AM 3 comments
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